Sunday, April 22, 2012

आसमान की रोशनी



आसमान की लाली छाई कैसे मेरे मन में
आसमान की धुंध कट गई कैसे मेरे मन में
आशाओं की किरणें बरसीं कैसे मेरे मन में
तेज क्रोध का सूरज निकला कैसे मेरे मन में
तीक्ष्ण धूप में खौल खौल कर नदी नालियाँ सूखीं
पानी भाप हो गया सारा धरती हो गई भूखी
बादल छाए आसमान में भूखी जनता नाची
जन पुकार से विह्वल होकर बादल बरसा पानी
सूखा था फिर बाढ़ आ गई कैसे मेरे मन में
धरती और आकाश उतर गए दोनों मेरे मन में

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