Sunday, April 22, 2012

हम आ तूँ



तोहरे से कहतानीं सुन के बहटियाव जीन
जिनगी में का कइल
छोट रहल त खइल पियल बाकी
बड़ का शान में हमरा लग्गीं ना अइल
देह ना छुआइल मन एके ठहर रहि के ना जुड़ाइल
अपनो देहियाँ सुकुवार बनवल
लाला अस पढ़े के कलम दुआत धइल
पढ़े में कमाल जरूर देखवल बाकी
जोतला खेत में लात ना डलल
एसे का होला हमार पसेना त तोहरा बून बून में भिनल रहे
खींचत रहे हमरा लग्गीं त लम्मा कइसे जइत
तनी नियराँ आ तनी लम्मा क झगरा
जिनगी भर ना सुधरी एगो कोर धरहीं के परी
तोहरे से कहतानीं
ए झगरा में कबो एने भइल कबो ओने
न एने क भइल न ओने क
बीचवे में कवनो छोट मोट कमाई धइल
हमार पसेना आ घर क ऊँचास दूनो का मेल से
कवनो मइल कुचइल क काम बिना घूस क कइल त तरला नियर जनल
बाकी जिनगी अकारथे बीतल जाले देखते हहर गइल माथा घूमे लागल
त अब कहिया के ताकत बाड़
अब त मए देसवे में आग लगा देहलीं
जेने देखब लड़त भिड़त अदमिए लउकी अउरी किछु ना
तनी कुरसी पलंग सोफा क फिकिर छोड़
देख जे कइसे मिलेले रोटी आ कइसे परेला रोटी पर डाका
ना अइब डकैतन का हाथे परि जइब
तब मत कहिह जे ना कहलीं
अइसन मोका फेर ना आई
तोहरे से कहतानीं

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