Friday, March 4, 2016

विचारधारा

              
अंग्रेजी शब्द Ideology का हिंदी अनुवाद विचारधारा है । फ़्रांसिसी दार्शनिक देस्तु द त्रासी ने सबसे पहले इसके फ़्रांसिसी प्रतिशब्द Ideologic का 1797 में इस्तेमाल किया था । इसे उन्होंने विचारों के विज्ञान के अर्थ में प्रस्तावित किया था । ज्ञानशास्त्र और भाषा सिद्धांत में इसका यही अर्थ उन्नीसवीं सदी से पहले तक समझा जाता रहा । पश्चिमी दुनिया में इसके अर्थों में समय समय पर बदलाव आते रहे हैं । रेमंड विलियम्स ने ‘की वर्ड्स’ में बताया है कि नेपोलियन बोनापार्त ने इसका नकारात्मक प्रयोग लोकतंत्र के समर्थकों के लिए किया था क्योंकि उसके मुताबिक ये ‘जनता को ऐसी सत्ता प्रदान करते हैं जिसका प्रयोग करने में वह अक्षम होती है’ और इसी प्रसंग में ज्ञानोदय के सिद्धांतों को ‘आइडियोलाजी’ कहा था । उसके बाद से ही इसका प्रयोग नकारात्मक अर्थ में समूची उन्नीसवीं सदी में होता रहा ।
आज भी समाजवादी या लोकतांत्रिक नीतियों के जरिए समाज में सचेत बदलाव की कोशिशों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है । क्रांतिकारी प्रयासों को भी विचारधारा से प्रतिबद्ध कहने का चलन रूढ़िवादी हलकों में इसी अर्थ के कारण है । अर्थ की इस नकारात्मकता का विस्तार हुआ तो अमूर्त, अव्यावहारिक या उन्मादी सिद्धांत के संकेत भी इससे निकलने लगे । मार्क्स-एंगेल्स ने ‘जर्मन विचारधारा’ में अपने समकालीन विद्रोही विचारकों की आलोचना के लिए ‘विचारधारा’ के इसी ‘अमूर्त’ अर्थ को ग्रहण किया है । उनके अनुसार किसी भी युग के प्रभुत्वशाली विचार उस युग के प्रभावी भौतिक संबंधों की वैचारिक अभिव्यक्ति होते हैं । यथार्थ की जगह इन प्रभावी भौतिक संबंधों को विचार के रूप में पेश किया जाता है इसलिए इसमें वास्तविक यथार्थ उलटा दिखाई पड़ता है । उनका कहना था कि यह परिघटना ऐतिहासिक जीवन प्रक्रियाओं से उसी तरह पैदा होती है जिस तरह हमारे शरीर की बनावट के कारण आंख की रेटिना पर वस्तुओं का उलटा प्रतिबिंब बनता है । इस तरह विचारधारा अमूर्त और झूठी चेतना होती है । शासक वर्ग के ‘विचारक’ इसके वाहक होते हैं क्योंकि वे विचारधारा की सचाई का भ्रम खड़ा करते हैं । एंगेल्स का यकीन था कि कानून और राजनीति जैसी प्रत्यक्ष विचारधाराएं भी ठोस भौतिक हितों से दूर होती हैं तथा दर्शन और धर्म जैसी उच्च विचारधाराएं तो और भी दूर होती हैं लेकिन उनका वास्तविक सामूहिक हितों से संबंध होता है ।
लेकिन मार्क्स और एंगेल्स के ही लेखन में इसका एक दूसरा अर्थ भी प्रकट हुआ है । ‘राजनीतिक अर्थशास्त्र की आलोचना में एक योगदान’ की भूमिका में उन्होंने बताया है कि मनुष्य उत्पादन की भौतिक स्थितियों के रूपांतरण के कार्यभार के प्रति विचारधारा की दुनिया में सचेत होता है । यदि विचारधारा के भ्रम वाले अर्थ को ग्रहण किया जाए तो इस कथन का मतलब साफ नहीं होगा । इसी सकारात्मक अर्थ में लेनिन ने समाजवाद को सर्वहारा वर्गीय संघर्ष की विचारधारा कहा है । उनके अनुसार पूंजीवादी संबंधों में अपने आप पैदा होने वाले मजदूरों की लड़ाइयों में समाजवाद की विचारधारा का प्रवेश बाहर से कराया जाता है । इसके बाद ‘बुर्जुआ विचारधारा’ के बरक्स ‘सर्वहारा विचारधारा’ का इस्तेमाल होने लगा यानी विचारों की ऐसी व्यवस्था जो किसी वर्ग के मुफीद हो ।
शब्द की इसी अनेकार्थता को रेखांकित करते हुए टेरी ईगलटन ने अपनी किताब ‘आइडियोलाजी : ऐन इंट्रोडक्शन’ में विचारधारा के दसाधिक अर्थ गिनाए हैं- 1) सामाजिक जीवन में अर्थ, चिन्ह और मूल्य पैदा होने की प्रक्रिया; 2) विशेष सामाजिक समूह या वर्ग से जुड़े हुए विचार समूह; 3) प्रभुत्वशाली राजनीतिक सत्ता को वैधता देने में सहायक विचार; 4) इसी तरह के छद्म विचार; 5) व्यवस्थित विकृत संप्रेषण; 6) किसी कर्ता को हैसियत प्रदान करने वाला; 7) सामाजिक हितों से प्रेरित चिंतन के रूप; 7) अस्मिता चिंतन; 8) सामाजिक रूप से आवश्यक भ्रम; 9) विमर्श और सत्ता का संयोग; 10) ऐसा माध्यम जिसमें सचेत सामाजिक अभिकर्ता अपनी दुनिया के बारे में सचेत होते हैं; 11) सक्रिय करने वाले विश्वास-समूह; 12) भाषिक और परिघटनात्मक यथार्थ का भ्रम; 13) ऐसा अपरिहार्य माध्यम जिसमें व्यक्ति किसी सामाजिक संरचना में अपने संबंध निबाहते हैं; 14) सामाजिक जीवन को प्राकृतिक यथार्थ में बदलने वाली प्रक्रिया । स्पष्ट है कि प्रसंगानुसार इसके अर्थों में बदलाव आता रहा है ।
          


No comments:

Post a Comment