Thursday, March 3, 2016

ग्राम्शी


अंतोनियो ग्राम्शी (1891-1937) को मार्क्सवादी चिंतकों की परंपरा में अनेक कारणों से विशेष स्थान प्राप्त है । वे इटली की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे । उनका जन्म सार्दीनिया द्वीप में हुआ था । पिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने और कर्ज के चलते पुलिस के पीछे पड़ने की वजह से परिवार को लगातार भटकना पड़ता । अंतत: पिता घोटाले में फंसे और उन्हें जेल हो गई । ग्राम्शी की पढ़ाई छूट गई और उन्हें तमाम तरह के अस्थाई काम करने पड़े । स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते उनकी लंबाई पाँच फ़ीट से कम ही रह गई और पीठ पर कूबड़ निकल आया था । वे हमेशा ही उद्योगीकृत उत्तरी इटली के मुकाबले खेतिहर सार्दीनिया के पिछड़ेपन के खिलाफ़ रहे । तूरिन विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के दौरान मजदूर आंदोलनों के संपर्क में आए और कम्युनिस्ट हो गए । कम्युनिस्ट अखबारों में निरंतर राजनीतिक सवालों पर लिखते रहे । इटली की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि के बतौर रूस की यात्रा की । देश में मुसोलिनी की फ़ासिस्ट सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद चले दमन में तबाह पार्टी को खड़ा करने की कोशिश के दौरान गिरफ़्तार हुए और जेल में ही मृत्यु हो गई । सरकारी सेंसरशिप को धोखा देने के लिए उन्होंने लेखन की एक खास शैली विकसित की और उसी में डायरियों का लेखन किया । उदाहरण के लिए कम्युनिस्ट पार्टी लिखने की जगह वे मैकियावेली के प्रिंस की तर्ज पर इसे माडर्न प्रिंस (आधुनिक राजकुमार) लिखते या सर्वहारा वर्ग की जगह सबाल्टर्न क्लास (निम्न वर्ग) । कम्युनिस्ट नेता के लिए वे आर्गेनिक इंटेलेक्चुअल (आंगिक बुद्धिजीवी) शब्द का प्रयोग करते थे जिसे वे बुर्जुआ बौद्धिक के लिए प्रयुक्त ट्रेडिशनल इंटेलेक्चुअल के विपरीत समझते थे । हेजेमनी या प्रभुत्व की उनकी धारणा का वैचारिक-सांस्कृतिक आंदोलन से गहरा संबंध है । वे राज्य को सिर्फ़ दमनात्मक प्रविधियों तक ही सीमित नहीं मानते थे बल्कि सहमति निर्मित करने में सहायक औजारों को शासन पद्धति के लिए सामाजिक सहमति लेने के लिहाज से अधिक महत्वपूर्ण समझते थे । इसी क्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करना उन्हें पार्टी का कर्तव्य लगता था । उन्हें इसकी भूमिका चलायमान युद्धके मुकाबले मोर्चेबंदी के युद्ध में निर्णायक महसूस होती थी । जिसे ‘पश्चिमी मार्क्सवाद’ कहा गया उसका जनक ग्राम्शी को ही माना जाता है ।      


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