गोवारी शहीद
नागपुर में यदि आप वर्धा की ओर से आयें तो रास्ते में एक फ़्लाई ओवर पड़ता है । नाम है – गोवारी शहीद उड्डयन पथ । ये गोवारी शहीद कौन हैं । नाम तो बहुत ही भ्रामक है क्योंकि महाराष्ट्र के बगल में ही गोवा पड़ता है । गोवा की मुक्ति भी भारत के बाद हुई थी । इस पर ख्वाजा अहमद अब्बास ने सात हिंदुस्तानी नामक उपन्यास भी लिखा था । इसी नाम से अमिताभ बच्चन को लेकर फ़िल्म भी बनी थी । लेकिन यह वह गोवा नहीं ।
दरअसल नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन अधिवेशन होता है । उस समय ढेर सारे प्रदर्शन होते हैं । नागपुर के बगल में गोवारी नामक आदिवासी समुदाय रहता है । उसका एक प्रदर्शन भी हुआ था । जमाना शरद पवार के मुख्यमंत्रित्व का । पुलिस ने प्रदर्शन पर लाठी चलाई । भगदड़ में सैकड़ों लोग मर गये । उन्हें ही शहीद कहकर उनके नाम पर फ़्लाई ओवर बनाकर गाड़ियाँ चलाई जाती हैं । जो लोग अपनी माँगों के लिए प्रदर्शन करते हुए मरे उनके नाम पर बना पुल अब चारपहिया गाड़ियों की अबाध यात्रा का साधन बन गया ! ऐसा सिर्फ़ उसी समाज में संभव है जहाँ का सोचने समझने वाला तबका संवेदनहीनता और स्मृतिभ्रंश का दीर्घकालीन मरीज हो ।
अर्थशास्त्र की भाषा
एक सज्जन परिवार सहित कहीं जा रहे थे । रास्ते में नदी पड़ी । नदी पार करनी थी । परिवार के मुखिया संभवतः अर्थशास्त्र के अध्येता थे । उन्होंने तीन चार जगहों पर नदी की गहराई देखी । उनका औसत निकाला ।फ़िर परिवार के सभी सदस्यों की लंबाई नापी । उनका औसत निकाला । परिवार की लंबाई का औसत नदी की गहराई के औसत से अधिक निकला । फ़िर क्या चिंता ! उन्होंने परिवार के लोगों से नदी पार करने को कहा । वे किनारे खड़े रहे और उनके शास्त्र को झुठलाते हुए परिवार के सभी सदस्य डूब गये ।
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