Tuesday, April 24, 2012

प्रेम की ताकत



मान गया सचमुच
कि प्रेम ही आत्मविस्तार का
सबसे बड़ा साधन है
तुमने मुझे उंगली पकड़कर
दुनिया को देखना
सिखाया है
चौबीस साल बाद पहली बार
मौसम के रंग मैंने देखे हैं
वसंत क्या है
क्या है फूलों का रंग
आसमान के व्यापक फलक पर
आम के पत्ते का गहरा हरापन
बौरों का पीलापन
गहरे और हल्के लाल
रंगों का भेद
और फिर कभी कभी
हास्टल के पीछे का नंगा लंबा पेड़
धुँआरा सा
सब कुछ साफ साफ
बड़ा मनोहारी सा लगता है
जानती हो
तुम्हारा विश्वास जीत लेने के बाद
तुमसे ठिठोली का भी
अपना मजा है
याद है सब कुछ मुझे
जब कभी हँसी के ठहाकों के
बीच भी
उदास मुँह खिड़की के पार
आकाश को निहारना
तीव्र उत्तेजना में
होठों के अंतिम किनारों पर
तनाव भरी थरथराहट
लज्जा के क्षणों में
समूचे मुँह पर
लाल रंग आग सा फैल जाना
काँपती टाँगें
चटकती प्यास
सब कुछ याद है
तुम एक शोख लड़की हो
यह सब जानते हुए भी कि
कोई मतलब नहीं है
हमारे तुम्हारे बीच बातों का
बात बात में झूठ बोलना
किसी भी संबंध के
अस्तित्व से नकार जाना
चिढ़ाने की योजना बनाते वक्त
चेहरे की गंभीरता के नीचे से
छलछलाती हुई शोख मुस्कुराहट
सब कुछ याद रहेगा
तुमने मुझे ठीक उसी समय
जबकि मुझे पागल हो जाना चाहिए था
एक आदमी बनाए रखने के लिए
जो कीमत चुकाई है
उसका जो भी प्रतिदान माँगोगी
कभी भी कहीं भी चुकाने को
मुझे तैयार पाओगी

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