Friday, July 11, 2014

कैपिटल की कहानी (प्रदीप बख्शी के सौजन्य से प्राप्त एक लेख के आधार पर)

          
कार्ल मार्क्स ने इस किताब के लेखन के लिए ब्रिटिश म्यूजियम से नोट लेना शुरू किया था । वे हमेशा कहते रहते कि किताब बस खत्म ही होना चाहती है लेकिन अपने विषय पर आने वाली नवीनतम सामग्री को खंगालने में उन्हें बरसों लगे । 1865 तक लगभग 1200 पन्ने अपाठ्य हस्तलेख के रूप में एकत्र हो गए । पढ़ने लायक इसे बनाने में एक साल लगे । सोलह साल की मेहनत के बाद और वादे के दो साल बाद अप्रैल 1867 में इसे प्रकाशक के पास भेजा जा सका । कम से कम सात पत्रिकाओं में एंगेल्स ने गुमनाम समीक्षाएं लिखीं क्योंकि उन्हें लगा कि लोग इसे समझ नहीं सकेंगे । इसके बावजूद बिक्री में कोई खास उछाल नहीं आया । डेढ़ साल बाद भी छपाई की लागत नहीं निकल सकी थी । 1872 में रूसी अनुवाद से इसकी चर्चा शुरू हुई । 16 साल की बिक्री के बाद प्रकाशक ने बारह पौंड की पहली रायल्टी भेजी जिसे भुनाने के लिए मार्क्स जीवित न रहे थे । उनकी मृत्यु के बाद एंगेल्स ने 1885 में दूसरा और 1894 में तीसरा खंड प्रकाशित कराया । एंगेल्स की मृत्यु के बाद 1901 में जर्मन सोशल डेमोक्रेट पार्टी के ग्रंथालय को इसकी पांडुलिपियों को रखने का जिम्मा मिला । हिटलर के सत्ता में आने के बाद इन पांडुलिपियों को बक्सों में भरकर पानी की जहाज से विदेश भेजा गया और ये कोपेनहागन पहुंच गईं । इन्हें मास्को के मार्क्सवादी-लेनिनवादी संस्थान को बेचा गया लेकिन इसे ले आने वाले बुखारिन के दल को वापस बुला लिया गया । 1938 में अंतत: एम्सटर्डम के एक संस्थान ने इन्हें लगभग साढ़े छह लाख यूरो में खरीदा । ये कागजात दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इंग्लैंड में रहे और हैरोगेट तथा आक्सफ़ोर्ड में सुरक्षित रहे । 1946 में इस संग्रहालय को वापस एम्सटर्डम लाया गया । लेकिन कैपिटल के पहले भाग की मूल पांडुलिपि इस युद्ध में नष्ट हो गई । पहले संस्करण की छपाई के बाद मूल पांडुलिपि प्रकाशक के पास हैम्बर्ग में थी । विश्व युद्ध में अंग्रेजी विमानों की बमबारी और उसके बाद लगी आग में समूचे शहर के साथ यह पांडुलिपि भी खाक हो गई । मार्क्स के पास पहले संस्करण की वह प्रति थी जिसमें उन्होंने बाद के किसी संस्करण के लिए तमाम नोट, टीपें, संशोधन और विस्तार लिख रखे थे । ऐसा परिवर्धित संस्करण 1872 में प्रकाशित हुआ भी । मार्क्स-एंगेल्स के सभी कागजात को डिजिटाइज कर दिया गया है और कैपिटल के पहले संस्करण की मार्क्स वाली प्रति तथा कम्युनिस्ट मेनिफ़ेस्टो के मसौदा पन्ने को यूनेस्को ने विश्व निधि घोषित कर दिया है ।