मार्क्सवाद को समझने के लिए सबसे पहला और बेहतरीन बुनियादी पाठ
अब भी ‘कम्यूनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ है । मार्क्सवादी दर्शन
को समझने के लिए एंगेल्स की ‘लुडविग फ़ायरबाख और क्लासिकल जर्मन
दर्शन का अंत’ रोचक किताब है । इसमें दर्शनशास्त्र के बुनियादी
सवालों के परिचय के साथ ही भौतिकवादी दर्शन के विकास तथा उससे मार्क्सवाद के रिश्ते
की शुरुआती समझ बन जाती है । एंगेल्स की ही लिखी किताब ‘समाजवाद:
काल्पनिक और वैज्ञानिक’ भी मार्क्स से पहले के
समाजवादी चिंतकों की खूबियों-खामियों का बेहतरीन विश्लेषण करती
है और दर्शन के साथ ही मार्क्सवाद के एक और आयाम को खोलती है । किसी भी समाज के इतिहास
में राजनीतिक हलचल के दौरान सामाजिक वर्गों की जीवंत गतिशील भूमिका को समझने के लिए
मार्क्स की किताब ‘लुई बोनापार्त की अठारहवीं ब्रूमेर’
बेहतरीन पाठ है । इसमें विभिन्न सामाजिक वर्ग, उनके राजनीतिक प्रतिनिधियों और उस वर्ग की राजनीतिक मांगों की अभिव्यक्ति का
इतना जीवंत चित्रण हुआ है कि जिसे ऐतिहासिक भौतिकवाद कहा जाता है उसके सूत्र की जगह
जीवंत बुनियादी तत्व पकड़ में आने लगते हैं । मार्क्स की पद्धति की जानकारी के लिए
‘राजनीतिक अर्थशास्त्र की आलोचना में योगदान’ की
भूमिका देखना सबसे अच्छा होगा । उसमें संक्षेप तो है लेकिन उसके चलते ही खोलकर समझने
की प्रक्रिया बेहद मजेदार हो जाती है । बहुत सारे व्यावहारिक सवालों के बारे में
‘गोथा कार्यक्रम की आलोचना’ में सूझ भरी बातें
हैं । लेनिन की लिखी किताब ‘कार्ल मार्क्स और उनकी शिक्षा’
से मार्क्सवाद की बुनियादी बातें स्पष्ट हो जाती हैं । इसके अतिरिक्त
माओ के ‘चीनी समाज में वर्गों का विश्लेषण’, ‘व्यवहार के बारे में’ तथा ‘अंतर्विरोध
के बारे में’ भी उपयोगी लेख हैं ।
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