कुछ मन की, कुछ ज़माने की
सोना लादन पिउ गए सूना करि गये देस
सोना मिला न पिउ मिले रूपा ह्वै गे केस
रूपा ह्वै गे केस रोय रंग रूप गँवावा
सेजन को बिसराम पिया बिन कबहुँ न पावा
कह गिरिधर कविराय लोन बिन सबै अलोना
बहुरि पिया घर आउ कहा करिहौं कै सोना
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