Sunday, July 17, 2011

दिल्ली में कामरेड की हत्या (सरयू पांडे की मौत की खबर सुनकर)


कामरेड ! आज कई घटनाएँ

मेरे साथ घटीं

ग्लानि, सहानुभूति और व्यंग्य का मैं

कई बार शिकार हुआ

लेकिन सबसे बड़ी

दुर्घटना की खबर सबसे

अंत में मिली

माफ़ कर दीजिए कि

चाहकर भी मैं उस लड़के को

सम्मान न दे सका

जो अपने साथ लाया था

यह खबर

कि मेरे साथियों की घृणित

आदतों ने उसे

चोट पहुँचाई

सच मानिए वह मेरा अतीत था

भावना से भरपूर

जोश से छलकता हुआ

वह नहीं जानता था

ठंडे लोग न सिर्फ़ कुछ नहीं सुनना चाहते

वरन बोलने वाले का मुँह भी बंद कर देते हैं

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आप हमारी पूरी पीढ़ी के सामने

मिथक की तरह पेश आये

आपको कई बार मैंने

बोलते हुए सुना है

प्रभावित कभी न हो सका

लेकिन देखता जरूर रहा

आपकी दृढ़ता

बिना कुछ कहे हमारे इलाके के

सबसे टूटे हुए आदमी तक भी

पहुँच जाती थी

हमारी अपनी मिट्टी की

पैदावार थे आप

आपको राजधानी में भी देखा

क्रांति रथ पर सवार

धूर्तों के बीच

ठेठ गँवई किसान

जाने कैसे बैठा रहता था

किस्से सुने हैं कि

आप अपनी जाति से निकाल

दिए गए थे

कि थाने और सामंतों के

सबसे घृणित अत्याचारों

के शिकार रहे थे आप

कि पलटकर आपकी ताकत ने

उनके अत्याचारों का सबसे

कठिन जवाब दिया था

कि सभ्य लोग

अपने लड़कों को

आपके पास जाने से रोकते थे

उस पीढ़ी को

नजदीक से देखा है मैंने

जो जवान हुई थी

आपके साथ

निर्भय सच कहने का उतना

साहस नहीं देखा कहीं और

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याद है मुझे कामरेड !

आपने मुझे बमबाज़ी सिखानेवाला

कहा था

मेरे एक साथी को

चमार भी कहा था आपने

बोगना भी गया हूँ मैं

जहाँ कोआपरेटिव बनाने का

आपका सपना महज़ कुछ नए

धन्नासेठ पैदा करने में

बिखर गया है

जानता हूँ

जिन्होंने आपको बिरादरी

से निकाला था

उनके घरों से चावल के बोरे

आपके पार्टी आफ़िस में

पहुँचाए जाते हैं

यह भी जानता हूँ कि

मेरी गिरफ़्तारी से आप

खुश हुए थे

लेकिन खुश नहीं हुआ मैं

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आपके जीते जी हमने चाहा

आप मरें तो हम आपकी जगह लें

हम जो समझते थे कि

वह शहर जहाँ की हर बात

हमें उत्तेजित करती थी

बहसें करते थे हम और सक्रिय हो जाते थे

वह शहर सचमुच इतना

आंदोलित होगा कि

हमें अपने बारे में सोचने की

फ़ुर्सत ही नहीं मिलेगी

कि हम होंगे और घटनाएँ होंगी

लेकिन यह बहुत मुर्दा शहर है

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आपकी मृत्यु की खबर

यहाँ सुनकर

बहुत दुखी हूँ मैं

नहीं चाहता कि जिन भी

लोगों को जिंदा रहते

पूजने लायक समझा गया

वे मरते जायें और

उनकी खाली जगह में

ईश्वर समाता जाए

कामरेड ! अभी तो आपको

हमारी भी चिंता करनी थी

हमारी ज़मीन और हमारे

सपनों में दरार आ गई है

और हम असहाय हवा में

झूल रहे हैं

अभी तो हमें

आपकी जरूरत थी

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