Tuesday, May 1, 2012

लोक की एक शब्द क्रीड़ा


      
एगो कोंहार क तीन लइका दूगो लूल लूल एगो क बँहिए ना
 जवना क बँहिए ना ऊ बनवलस तीन गगरी
दूगो फूटल फूटल एगो क पेनिए ना
जवना क पेनिए ना ओमाँ बनवलस तीन चउरा
दूगो काँच काँच एगो पकले ना
जवन पकले ना ओमाँ नेवतलस तीन बभना
दूगो रूस रूस गइल एगो खइबे ना कइल
जिन खइबे ना कइल उनके दिहलस तीन पइसा
दूगो खोट खोट एगो चलबे ना करी
जवन चलबे ना करे ओमाँ खनवलस तीन पोखरा
दूगो सूखल सूखल एगो में पनिए ना
जवना में पनिए ना ओमाँ अइलें तीन सियरा
दूगो बाँड़ बाँड़ एगो क पोंछिए ना
जवना क पोंछिए ना ओपर चलवलस तीन झटहरा
दूगो बहक बहक गइल एगो लगबे ना कइल

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