tag:blogger.com,1999:blog-4325961764913778009.post3574106136182174576..comments2023-12-25T19:53:44.760-08:00Comments on ज़माने की रफ़्तार: राजनीतिक वर्ग की भाषा में अहंकारgopal pradhanhttp://www.blogger.com/profile/15365125111310550491noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4325961764913778009.post-45060780428490038352012-03-12T12:56:01.174-07:002012-03-12T12:56:01.174-07:00जहाँ सबको खुद को समझने-समझाने-दिखाने की पड़ी हो वह...जहाँ सबको खुद को समझने-समझाने-दिखाने की पड़ी हो वहाँ देश की कौन सोचे! ऐसे में बहुत आश्चर्य नहीं होगा जब लोग आने वाले समय में संवेदनशीलता नाम के शब्द तक को ही भूल जाएं...PUKHRAJ JANGID पुखराज जाँगिडhttps://www.blogger.com/profile/12780240720269882294noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4325961764913778009.post-60290436033756665032012-03-12T05:22:18.476-07:002012-03-12T05:22:18.476-07:00किसान हो या मजदूर इन लोगो के एजेंडे मे हैं ही नहीं...किसान हो या मजदूर इन लोगो के एजेंडे मे हैं ही नहीं।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4325961764913778009.post-23974750565585761562012-03-12T03:19:46.344-07:002012-03-12T03:19:46.344-07:00भाषा से ही सब कुछ अभिव्यक्त होता है.यह न कोई धर्म ...भाषा से ही सब कुछ अभिव्यक्त होता है.यह न कोई धर्म जानती है और न ही किसी जाति की रखैल है.यह सब तो मानव के अंदर निहित अभिमान का एक अटूट हिस्सा है.इसीलिए राजनेताओं ने इसे कभी-कभी अपने मुखारबिन्दु से अशोभनीय,भद्दा और बेहूदा बना देते हैं...<br />सादर...!!!डॉ.सुनीताhttps://www.blogger.com/profile/14644845338561511617noreply@blogger.com